बडे भईया
पिता का तुमसे प्यार मिला
माँ की तुममे है ममता
बैठ तुम्हारी बातें सुनना
मुझको बहोत है गमता
मन्द मन्द पवन चलती
रितु बसंत जब आती थी
जब बागों में कू कू करती
कोयलिया गीत सुनाती थी
बैठ तुम्हारे कन्धे पर
छोटी बहना भी जाती थी
मेले के ठेले पर खूब
चाट पकौड़ी था छनता
बैठ तुम्हारी बातें सुनना
मुझको बहोत है गमता
पाठशाला का पाठ पठने को
माँ जब आँख दिखाती थी
मैं आता था पास तुम्हारे
बहना भी दौडी आती थी
देख हमारे नखरे तब
माँ मन्द मन्द मुश्काती थी
बैठने को गोद तुम्हारी
झगड़ा हम दोनो में था ठनता
बैठ तुम्हारी बातें सुनना
मुझको बहोत है गमता
बाबू जी की बात सही थी
बरसों पहले जो कही थी
भईया हैं बाद हमारे
गम में हों तो मिलें सहारे
कभी किसी से हो नही
सकती भईया तुम्हारी समता
बैठ तुम्हारी बातें सुनना
मुझको बहोत है गमता
उदय बीर सिंह गौर
खम्हौरा
बां